मंगलवार, 25 जुलाई 2017

स्वतंत्रता सेनानी मन्नू -कृष्णा का संघर्ष

मन्नू -कृष्णा सेवरिया गोत्र के मीना थे।इनका जन्म जिला अलवर की लक्षणगढ तहसील के खुडियाना गांव में हुआ था।
    अलवर रियाशत मे चोकीदार मीणाऔ पर कई पाबंदीया सबसे पहले लगी थी ।जरायम पेशा कानून सबसे पहले अलवर रियाशत मे लगा था।भरतपुर रियाशत में 1939 में कई जातियो पर जुरायम पेशा कानून लागू किया थाइसमें चौकीदार मीना भी शामिल थे। 
   कृष्णा -मन्नू उग्र स्वभाव तथा स्वतंत्रता प्रेमी थे। दोनो परिवार सहित अलवर रियाशत को छोडकर भू.पू.भरतपुर रियाशत की बैर तहसील के गांव रनधीर गढ मे आकर रहने लगे । वहाँ गोगेरा ठाकुर ने आपको चैन से नहीं रहने दिया ।
गोगेरा ठाकुर चरित्र हीन था ।मन्नू सिंह ने उसको फटकार लगायी थी ।गोगेरा ठाकुर से बिवाद के कारण दोनो भाई परिवार सहित ग्राम गडवा मे जाकर रहने लगे । बैर का लंम्बरदार बादाम सिंह गोगेरा ठाकुर का मित्र था।गोगेरा ठाकुर ने बादाम सिंह को उकसाया कि मन्नू कृष्णा को क्षेत्र से भगा दे।
उस समय क्षेत्र में काग्रेस  की गतिविधिया चालू हो रही थी ।मन्नू कृष्णा भी काग्रेस विचारधारा के लोगों के संपर्क मे आकर उनके सहयोगी बन गए । उनके इन कार्यो से ठाकुर बादाम सिंह लम्बरदार जो पहले से ही नाराज था और विरोधी हो गया।बादाम सिंह को गोगेरा ठाकुर लगातार भडकाता रहता था ।
     ठाकुर बादाम सिंह ने कृष्णा के खिलाफ बैर थाने मैं झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया ।मन्नू सिंह अपने कुछ मित्रो को लेकर भाई किसना को छुडाने भुसावर थाने पहुँचा।और किसना को निर्दोष बताते हुए थानेदार से छोडने का आग्रह करने लगा ।पुलिस ने किसना को छोडने के स्थान पर मन्नू सिंह को ही गिरफ्तार करने कि प्रयास किया। उग्र स्वभाव के मन्नू सिंह और उसके मित्रो ने पुलिस के सिपाहियों पर अचानक लाठियांबर्षायी उनकोघायल कर किसना को छुडा लिया ।सब कुछ अचानक घटित हुआ पुलिस के सिपाहियों को कोई मोका नहीं मिला ।
पुलिस दोनो भाईयो को पकडने मे असफल हुई तो तगवा ग्राम मे रहने वाले उनके रिश्तेदारो को परेशान करने लगी ।
मन्नू -कृष्णा अपने परिवार को लेकर भू.पू.जयपुर रियाशत के गांव केसरी जो आजकल जिला दोसा की महवा तहसील का एक ग्राम में परिवार को बसा दिया।
परिवार केसरी गांव में और स्वय पास के कालापहाड में रहने लगे।उनके निवास स्थान के पास ही बाण गंगा बहती थी।
काला पहाड में मन्नू किसना बंन्दूक चलाना सीखने लगे वे अचूक निशाने बाज बन गए ।
मन्नू सिंह और किसना प्रत्येक शनिवार को भेष बदल कर तडगवा गांव में रामा की बगीची में हनुमानजी की पूजा करने जाते थे ।एक दिन गोगेरा ठाकुर को सूचना मिल गईउसने उनका पीछा किया ।मन्नू -किसना ने लाठियो और पत्थरों से गोगेरा ठाकुर और उसके साथियों का मुकाबला किया ।इनकी चोटो से गोगेरा ठाकुर मर गया ।सरकार नेइसके बाद खूंखार डाकू घोषित कर दिया ।
एक बार फिर मन्नू -किसना तडगवा बगीची पहूचे इस बार ठाकुर बादाम सिंह ने पुलिस की सहायत से पकडने का प्रयास किया। इस बार दोनो भाईयो के पास कारतूसी बन्दूक थी अतः गोली चला कर ठाकुर बादाम सिंह का काम तमाम कर दिया ।
   तीसरी बार पूजा करने पर जाने पर सिसान नामक थानेदार ने उनको घेर लिया परंतु उसको गोली मार कर गिरा दिया था।इसके बाद दोनो भाई चंम्बल के बीहडो मे जाकर रहने लगे वहाँ से समय समय पर काला पहाड अपने परिवार से मिलने आते थे .
उस समय जयपुर रियाशत के आई .जी यंग साहब थे वे मंडावर के पास गढ.हिम्मत सिंह के पास हरीपुरा बसाकर रहने वाले डाकू ठाकुर हरिसिंह को पकडने के लिए पडाव डाले हुए थे ठाकुर हरीसिंह का सूचना तंत्र बहुत मजबूत था वह फरार हो गया।ठाकुर डकैत का उस क्षेत्र मे आंतक था। गढ हिम्मत सिंह के ठाकुर ने यंग साहब को विश्वास दिलाया कि मन्नू सिंह -किसना मजबूरी में डकेत बने है उनमें मानवता है उनसे साठ गांठ कर ले तो हरिसिह को पकडा जा सकता है ।
यंग साहब ने उनके परिवार को विश्वास मे लिया ।यंग ,साहब मीना जाति से प्रभावित थे वे बहादुर और चतुर व्यक्ति थे स्वय भारत आने से पूर्व इंग्लैंड में खूखार डाकू के रूप में कुख्यात थे।
    यंग साहब काले पहाड के नीचे बहने बाली बाण गंगा नदी के जल में खडे होकर मन्नू सिंह और किसना सिंह से मिलेतथा यंग ने उनका ब्रैनबाश किया तथा अनुरोध किया कि मानवता को कलंकित करने वाले और गरीबो की बहिन बेटीयो की इज्जत लूटने वालेहरीपुराके ठाकुर हरीसिंह डाकू और चंम्बल के खूंखार डाकू डूंगर बटोही को मारने अथवा गिरफ्तार करने मे सहयोग मांगा तथा वचन दिया कि -मैं तुम्हारी और तुम्हारे परिवार की रक्षा मैं सदैव तैयार रहूँगा।
    यंग साहब ने मन्नू सिंह और किसना के सहयोग से हरीपुरा गांव की मुडभेड मे डाकू हरी सिंह को मरवाने में सहयोग किया ।इसके बाद यंग साहब ने कहा कि मेरा एक काम करना है कि -मेरा अपमान करने वाले और मेरे को जान से मारने की कोशिश करने वाले डूंगर बटोही कोजीवित अथवा मृत लाना है।इसके बाद में तुम्हारे परिवार की आजीविका का पूरा प्रबंध कर दूंगा ।
यंग साहब ने किसन सिंह को अपने पास रख लिया तथा मन्नू सिंह और उनके भांजे गंगा सिंह को पिस्तौल देकर वहाँ से रवाना किया और धौलपुर क्षेत्र की पुलिस को मन्नू सिंह को सहयोग करने के आदेश दिए।
   तत्कालीन समय में चनम्बल का सबसे खूंखार डाकू डूगर बटोही थे इनके गिरोह को खत्म करने के उद्देश्य से यंग साहब मुगल पुरा में किला बना कर सात साल रहे फिर भी ऊसे नहीं पकड पाये एक मुडभेड मे डूगर बटोही ने यंग साहब को घेर लिया तथा बुरी तरह अपमानित करके भगाया था अपने अपमान का बदला लेने के लिए यंग साहब ने मीना जाति के शूरवीर मन्नू किसना से समझौता किया था।
मन्नू सिह और उसके भांजा नेसूझ बूझ और अपनी वीरता के बल पर 
डूंगर बटोही को मुडभेड में मार दिया और उसकी लाश पुलिस को सौप दी।इस मुडभेड मैं मन्नू सिंह के पैर में भी गोली लगी थी।
यंग साहब ने खुश होकर मन्नू सिंह और उसके परिवार को बैर तहसील के बल्रभगढ मैं जमीन दिलवा दी यह गांव भरतपुर की महारानी की जागीर मैं था।
    मन्नू सिंह के लडके राम सिंह को पुलिश मे भर्ती करवा दिया। यंग साहब ने मन्नू सिंह को सरकारी आरोपों से मुक्त कराने का आश्वासन दिया परंतु कुछ दिन बाद ही यंग साहब इंग्लैंड चले गए।
पुराने मुकदमो के आधार पर मन्नू सिंह और किसन सिंह को फांसी की सजा दी गई ।उनके लडके मरदान सिंह व छोटे भाई मूला राम को बीस बर्ष की सजा सुनाई ।
उस समय बल्लभ गढ मे भरतपुर की महारानी आती जाती थी ।उनसे मन्नू सिंह की तीनो पत्निया और पुत्र सुलतान सिंह और राम सिंह मिले .गरीब लोगो मैं तो मन्नू किसना लोकप्रिय थे इस कारण महारानीने महाराज भरतपुर से कृष्णा मन्नू की फांसी की सजा माफ करवाने का आग्रह किया।भरतपुर राज घराने की सिफारिश पर मन्नू किसना की फांसी की सजा काले पानी की सजा में बदल दी गयीं ।
    आजन्म कारावास में अंडमान निकोबार दीप भेजा गया।उस समय द्वितीय विश्व युद्व चल रहा था।सुभाष चंद बोस ने अंडमान निकोबारपर आकम्रण कर कैदियों को छुडा दिया ।आजाद हिंद फोज मैं मन्नू किसना कोसूबेदार बना दिया ।
   आजाद हिंद फोज के पराजित होने पर मन्नू किसना भी पुनः आजाद हिंद फोज के कैदियों के साथ बंदी बना लिया.
  जिला भरतपुर के पीपली गांव के हरी सिंह जी मीना बृंदावन मैं मीना धर्म शाला पर रहते है उनका कथन है कि कुछ बर्षो पूर्व उस समय का एक फोजी अवसर से बृंदावन मे मुलाकात हुईथी उसने बोल चाल मे जाति पूछी ।मैना जाति नाम सुनते ही किसना मन्नू के बारे मैं बताने लगा कि  उसने पं.जवाहर लाल नेहरु जी को कृष्णा मन्नू को जेल से छुडवाने के लिए पत्र लिखा था ।पं. नेहरु ने मन्नू कृष्णा को आजाद हिंद फोज का फौजी स्वीकार करते हुए जेल से छुटवाया।
   1948के हल्दैना सम्मेलन से कुछ समय पूर्व ही जेल से छुटे थे जो कुछ भी हो सर्व समाज मे कृष्णा मन्नू लोकप्रिय थे। मंडावर के आसपास के क्षेत्रो मे जागीर दार मीणा किसानो का शौषण करते थे ।हल्देना के समाज सेवी रामधन हल्दैना ने भीम सिंह विधार्थी से सलाह करके हल्दैना सम्मेलन आयोजित किया।इस सम्मेलन के बाद रामधन जी हल्दैना ने कृष्णा मन्नू के साथ उंटो पर दोरे करे कृष्णा मन्नू के नाम से ही अत्याचारी ठाकुर भय भीत हो जाते थे ।जो कुछ भी मन्नू किसना आजाद हिंद फोज मैं सूबेदार बने थे इस कारण स्वतंत्रता सेनानी थे। मन्नू किसना ने मानवता को कलंकित करने वाले डूंगर बटोही को मार कर आम जन मैं लोकप्रिय हो गए थे।जागीर दारो मैं उनका आंतक था आम जनता तो उनकी प्रसंशक थी।सर्व समाज के गरीब लोगों मे मन्नू किसना लोकप्रिय था। 
गूजर आरक्षण के समय मे किसी काम से बल्भगढ गया उस समय कलुआ राम जी सरपंच थे मेने जिज्ञासा वश पूछ लिया की गांवमैं मीणा कम हैं और आसपास के गांवो मे गूजरो की संख्या जादा है कोई परेशानी तो नहीं है तो कलुआ जी ने बताया कि - मन्न किसना के वंशज है किसी की क्या औकात जो हमारी तरफ आंख उठा के देखले।किसी ने आंख उठायी तो भूंज के रख देंगेगांव मैं मीणा जाति का उनका ही घर है माली जादा हैं फिर भी संरपंच उनके परिवार का ही बनता है ।इस पंचायत के प्रथम सरपंच भी मन्नूसिह जी निर्विरोध चुने गए थे। 

###डा.प्रहलाद सिंह  मीना###

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें