मीणा रहमदिल होने के साथ मानवीय भी होते है जिसके कई उदाहरण इतिहास में मिल जाएंगे । मीनाओ के इसी पक्ष को डॉ प्रह्लाद जी ने दूसरे ग्रुप में अपनी ऐतिहासिक टिप्पणी से प्रकट किया -------
"वाक्या 1865 का है जब मीणाओ ने अलवर के आस पास अंग्रेजो का 65000 लूट लिया था उस वक्त करोली रियासत के राजा का रेवन्यु 2 लाख नहीं होगा तब इतनी बड़ी रकम मीनाओ ने लूट कर साथियों एवं गरीबों में बांटे।
एक बार जयपुर के कर्मचारी जो भोपाल के बैंक में तब नोकर था तो उसने बैंक को खुन्स में लूटने के लिये जयपुर की मीणा गैंग को लगाया और मीणाओ ने कुछ दिन तक बैंक की रेकी करी पर बैंक के लोगो का अच्छा व्यवहार देखा क्योकि बैंक के लोग गरीब भिखारियों को सर्दी में कम्बल और भोजन देते थे । मीणा गैंग ने अपने रहम दिल व्यवहार से बैंक को नहीं लुटा ।
अतः मीणा परिस्थियों के दास बने पर उनका मानवता का पक्ष उन्नत ही था वह चोर डकैत होकर रोबिन हुड ही रहे और मारवाड़ का पड़िया मीणा तो सेन्सस 1881 में रोबिन हुड शब्द से दर्ज है तब ।"
जिस तरह गोंडा का रोबिन हुड विरसा मुंडा है उसी तरह मीनाओ का पदिया मीणा को रोबिन हुड कहा गया है । प्रचार तंत्र का ये प्रभाव है कि गोंड ने विरसा मुंडा को इतना प्रचारित किया कि मीणा भी विरसा की जय बोल रहे है लेकिन मीणा समुदाय खुद के रोबिन हुड को भूल गया तो प्रचारित क्या करेगा और जब प्रचारित ही नहीं करेगा तो मीणा नायक कैसे राष्ट्रीय सिम्बल बन सकेंगे ?
###डॉ प्रह्लाद सिंह मीना###
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