देश की आदिम जनजातियां भी वास्तविक रूप से इस देश की मूलवासी एवं प्रथम नागरिक है । इन आदिम जनजातियों को ही आदिवासी कहा जाता है । इनकी अधिकांश उपस्थिति अनुसूचित जनजाति में है लेकिन कुछ राज्यों में इन्हें अनुसूचित जाति अथवा पिछड़ी जाति में भी रखा गया है जो मूलवासियों की एकता में एक बड़ी बाधा है जिसका विरोध हर बुद्धिजीवी आदिवासी करता है ।
आदिम जनजाति/मूलवासी/आदिवासी/ST के अतिरिक्त भारत की शेष जनता जो भारत की नागरिक है उन विदेशी जातियों की वंशज है जिनके पूर्वज कभी भारत में आक्रमणकारी या व्यापारी के रूप में भारत आये । मूलवासी की उपस्थिति में भारत का गैरमूलवासी विदेशी है । मूलवासी और गैरमूलवासी को ही सम्मिलित रूप से मूलनिवासी कहते है लेकिन मूलनिवासी को देश का प्रथम नागरिक कहलाने का अधिकार नहीं है जबकि मूलवासी इस देश का प्रथम नागरिक है क्योंकि वो इस देश की भूमि पर आदिकाल से निवास करता आ रहा है।
### डी एस देवराज ###
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